NCERT Solutions For Class 9 Hindi Chapter 9 – साखियाँ एवं सबद
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 9 साखियाँ एवं सबद – आज हम आप लोगों को क्षितिज भाग 1 कक्षा-9 पाठ-9 (NCERT Solutions for class-9 Kshitij Bhag-1 Chapter-9) कबीर दास के साखियाँ एवं सबद के प्रश्न उत्तर (Kabir Ki Sakhi Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है .जो की Class 9 Hindi Exam के लिए अत्यन्त उपयोगी साबित होगा . जैसा कि आप सभी जानते है। Class 9 Exams के लिए Hindi subject का एक अपना महत्वपूर्ण स्थान है. इन्ही सभी को देखते हुए हम आपके लिए यहाँ एनसीईआरटी कक्षा 9 हिंदी अध्याय 9 (साखियाँ एवं सबद) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है.
Class | 9 |
Subject | Hindi |
Book | क्षितिज |
Chapter Number | 9 |
Chapter Name | साखियाँ एवं सबद |
NCERT Solutions for Class 9 हिंदी (क्षितिज) Chapter 9 साखिया एवं सबद
अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
साखियाँ ।
उत्तर- ‘मानसरोवर’ संतों के द्वारा प्रयुक्त प्रतीक शब्द है जिस का अर्थ हृदय के रूप में लिया जाता है जो भक्तिभावों से भरा हुआ हो।
उत्तर- सच्चा प्रेमी संसार की सभी विषय वासनाओं को समाप्त कर देने की क्षमता रखता है। वह बुराई रूपी विष को अमृत में बदल देता है।
उत्तर- कबीर की दृष्टि में ऐसा ज्ञान अति महत्त्वपूर्ण है जो हाथी के समान समर्थ और शक्तिमान है। ज्ञान ही भक्ति मार्ग की ओर प्रवृत्त हो कर भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ता है और जीवात्मा को परमात्मा की प्राप्ति कराता है। वह राह में व्यर्थ की आलोचना करने वालों की जरा भी परवाह नहीं करता।
उत्तर- इस संसार में सच्चा संत वही है जो पक्ष-विपक्ष के विवाद में पड़े बिना सब को एक समान समझता है। वह लड़ाईझगड़े से दूर रह कर ईश्वर की भक्ति में अपना ध्यान लगाता है। वह दुनियादारी के झूठे झगड़ों की ओर कभी नहीं बढ़ता।।
उत्तर-मनुष्य ईश्वर को पाना चाहता है पर वह सच्चे और पवित्र मन से ऐसा नहीं करना चाहता। वह दूसरों के बहकावे में आकर आडंबरों के जंजाल को स्वीकार कर लेता है तथा धर्म के अलग-अलग आधार बना लेता है। हिंदू काशी से तो मुसलमान काबा से जुड़ कर ब्रह्म को पाना चाहते हैं। वे उस ब्रह्म को भिन्न-भिन्न नामों से पुकार कर स्वयं को दूसरों से अलग कर लेते हैं। वे भूल जाते हैं कि ब्रह्म एक ही है। जिस प्रकार मोटे आटे से मैदा बनता है। पर लोग उन दोनों को अलग मानने लगते हैं। उसी प्रकार मनुष्य अलग-अलग धर्म स्वीकार कर परमात्मा के स्वरूप को भी भिन्न-भिन्न मानने लगते हैं। जन्म से कोई छोटा-बड़ा, अच्छा-बुरा नहीं होता। हर व्यक्ति अपने कर्मों से जानापहचाना जाता है और उसी के अनुसार फल प्राप्त करता है, समाज में अपना नाम बनाता है। किसी ऊँचे वंश में उत्पन्न हुआ व्यक्ति यदि बुरे कर्म करे तो वह ऊँचा नहीं कहलाता। नीच कर्म करने वाला नीच ही कहलाता है।
उत्तर- किसी भी व्यक्ति की पहचान उस के कर्मों से होती है न कि उस के कुल से। ऊँचे कुल में उत्पन्न होने वाला व्यक्ति यदि नीच कर्म करता है तो उसे ऊँचा नहीं माना जा सकता। वह नीच ही कहलाता है। सोने के बने कलश में यदि शराब भरी हो तो भी उस की निंदा ही की जाती है। सज्जन उस की प्रशंसा नहीं करते।
हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज-दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, भेंकन दे झख मारि॥
उत्तर- प्रस्तुत दोहे में कबीरदास जी ने ज्ञान को हाथी की उपमा तथा लोगों की प्रतिक्रिया को स्वान (कुत्ते) का भौंकना कहा है। यहाँ रुपक अलंकार का प्रयोग किया गया है। दोहा छंद का प्रयोग किया गया है। यहाँ सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया गया है। यहाँ शास्त्रीय ज्ञान का विरोध किया गया है तथा सहज ज्ञान को महत्व दिया गया है।
सबद
उत्तर- मनुष्य ईश्वर को प्राप्त करने के लिए मंदिर-मस्जिद में उसे ढूंढ़ता है। वह उसे काबा में ढूंढ़ता है, कैलाश पर्वत पर ढूंढ़ता है, वह उसे क्रिया-कर्म में ढूंढ़ता है, योग-साधनाओं में पाना चाहता है। वह उसे वैराग्य मार्ग पर चल कर पाना चाहता है।
उत्तर- कबीर ने ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है। जो समाज में युगों से प्रचलित हैं। विभिन्न धर्मों को मानने वाले अपने-अपने ढंग से धार्मिक स्थलों पर पूजा-अर्चना करते हैं। हिंदू मंदिरों में जाते हैं। तो मुसलमान मस्जिदों में । कोई ब्रह्म की प्राप्ति के लिए तरह-तरह के क्रिया-कर्म करता है तो कोई योग-साधना करता है। कोई वैराग्य को अपना लेता है पर इससे उसकी प्राप्ति नहीं होती। कबीर का मानना है कि वह तो हर प्राणी में स्वयं बसता है। इसलिए उसे कहीं बाहर ढूंढने का प्रयत्न पूरी तरह व्यर्थ है।
उत्तर- ईश्वर हर प्राणी में है, वह कहीं भी बाहर नहीं है। वह तो उनकी स्वांसों की साँस में है। जब तक जीव की साँस चलती है तब तक वह जीवित है, प्राणवान है और सभी प्राणियों में ब्रह्म का वास है। इसीलिए कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वांसों की स्वांस में कहा है।
उत्तर- सामान्य हवा जीवन के लिए उपयोगी है। वह जीवन की आधार है पर उस में इतनी क्षमता नहीं होती कि दृढ़ता से बनी किसी छप्पर की छत को उड़ा सके, उसे नष्ट-भ्रष्ट कर सके। कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना आंधी से की है ताकि उस से भ्रम रूपी छप्पर उड़ जाए। माया उसे सदा के लिए बाँध कर न रख सके। ज्ञान के द्वारा ही मन की दुविधा मिटती है, कुबुद्धि का घड़ा फूटता है।
उत्तर- ज्ञान की आंधी से भक्त के जीवन से भ्रम दूर हो जाते हैं। माया उसे बांध कर नहीं रख सकती। उसके मन की दुविधा मिट जाती है। वह मोह-माया के बंधनों से छूट जाता है। अज्ञान और विषय-वासनाएँ मिट जाती हैं, उनका जीवन में कोई स्थान नहीं रह जाता। शरीर कपट से रहित हो जाता है। ईश्वर के प्रेम और अनुग्रह की वर्षा होने लगती है। ज्ञान रूपी सूर्य के उदय हो जाने से अज्ञान का अंधकार क्षीण हो जाता है। परमात्मा की भक्ति का सब तरफ उजाला फैल जाता है।
(क) हिति चित्त की दवै थुनी गिरांनी, मोह बलिंडा तूटा।
(ख) आंधी पीछे जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनां।
उत्तर- (क) माया के द्वारा जीव को तब बहुत देर तक बाँध कर नहीं रखा जा सकता जब ज्ञान रूपी आंधी बहने लगती है। इससे मन के दुविधा रूपी दोनों खंभे गिर जाते हैं जिन पर भ्रम रूपी छप्पर टिकता है। छप्पर का आधारभूत मोह रूपी खंभा टूट गया जिस कारण तृष्णा रूपी छप्पर भूमि पर गिर गया।
(ख) ज्ञान की आंधी के बाद भगवान् के प्रेम और अनुग्रह की जो वर्षा हुई उससे भक्त पूरी तरह प्रभु-प्रेम के रस में भीग गए। उन का अज्ञान पूरी तरह मिट गया।
उत्तर- पाठ में संकलित साखियों से ज्ञात होता है कि कबीर समाज में फैले जाति-धर्म के झगड़े, ऊँच-नीच की भावना, मनुष्य का हिंदू-मुसलमान में विभाजन आदि से मुक्त समाज देखना चाहते थे। वे हिंदू-मुसलमान के रूप में राम-रहीम के प्रति कट्टरता के घोर विरोधी थे। वे समाज में सांप्रदायिक सद्भाव देखना चाहते थे। कबीर चाहते थे कि समाज को कुरीतियों से मुक्ति मिले। इसके अलावा उन्होंने ऊँचे कुल में जन्म लेने के बजाए साधारण कुल में जन्म लेकर अच्छे कार्य करने को श्रेयस्कर माना है।
पखापखी, अनत, जोग, जुगति, बैराग, निरपख।
उत्तर- पखापखी = पक्ष-विपक्ष
अनत = अन्यत्र
जोग = योग
जुगत = युक्ति
बैराग = वैराग्य
निरपख = निरपेक्ष
उत्तर- अपने अध्यापक / अध्यापिका की सहायता से छात्र स्वयं कीजिए।
साखियाँ एवं सबद के बहुविकल्पीय प्रश्न
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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Bhag 1 क्षितिज भाग 1
गद्य – खंड
- Class 9 Hindi Chapter 1 दो बैलों की कथा
- Class 9 Hindi Chapter 2 ल्हासा की ओर
- Class 9 Hindi Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति
- Class 9 Hindi Chapter 4 साँवले सपनों की याद
- Class 9 Hindi Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया
- Class 9 Hindi Chapter 6 प्रेमचंद के फटे जूते
- Class 9 Hindi Chapter 7 मेरे बचपन के दिन
- Class 9 Hindi Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना
काव्य – खंड
- Class 9 Hindi Chapter 9 साखियाँ एवं सबद
- Class 9 Hindi Chapter 10 वाख
- Class 9 Hindi Chapter 11 सवैये
- Class 9 Hindi Chapter 12 कैदी और कोकिला
- Class 9 Hindi Chapter 13 ग्राम श्री
- Class 9 Hindi Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर
- Class 9 Hindi Chapter 15 मेघ आए
- Class 9 Hindi Chapter 16 यमराज की दिशा
- Class 9 Hindi Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Bhag 1 कृतिका भाग 1
- Class 9 Hindi Chapter 1 इस जल प्रलय में
- Class 9 Hindi Chapter 2 मेरे संग की औरतें
- Class 9 Hindi Chapter 3 रीढ़ की हड्डी
- Class 9 Hindi Chapter 4 माटी वाली
- Class 9 Hindi Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया