भक्ति-सूफी परंपरा के प्रश्न उत्तर

भक्ति-सूफी परंपरा के प्रश्न उत्तर

Bhakti sufi parampara Question Answer- कक्षा 12 में पढा़ई करने वाले छात्रों को बता दें कि आप हमारी वेबसाइट से कक्षा 12वीं इतिहास के सभी विषयों चेप्टरो के प्रश्न उत्तर प्राप्त कर सकते हैं। इन प्रश्न उत्तरों का प्रयोग करके आप सभी विषयों की तैयारी आसानी से कर सकते हैं. इसलिए आज इस पोस्ट में भक्ति-सूफी परंपराएँ के क्वेश्चन आंसर दिए गए है .इन्हें आप ध्यान पूर्वक याद करे क्योंकि यह प्रश्न कक्षा 12 इतिहास की परीक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है .इसलिए आप इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़े

NCERT Solutions For Class 12th History Chapter- 6 भक्ति-सूफी परंपराएँ

भक्ति-सूफी परंपराएँ के अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. आठवीं से अठारहवीं सदी तक की भक्ति एवं सूफ़ी परंपराओं को जानने के किन्हीं दो स्रोतों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर. (1) संत कवियों की साहित्यिक रचनाएँ।
(2) इस काल की मूर्तिकला।

प्रश्न 2. 8वीं से 18वीं शताब्दी के नए साहित्यिक स्रोतों में कौन-सी रचनाएँ शामिल हैं? इनकी कोई दो विशेषताएँ बताओ।

उत्तर. 8वीं से 18वीं शताब्दी तक के नए साहित्यिक स्रोतों में संत कवियों की रचनाएँ शामिल हैं।
(1) उन्होंने इन रचनाओं में अपने आप को जनसाधारण की क्षेत्रीय भाषाओं में मौखिक रूप से व्यक्त किया था।
(2) इनमें से अधिकतर रचनाएँ संगीतबद्ध हैं।

प्रश्न 3. 8वीं से 18वीं शताब्दी के काल के साहित्य तथा मूर्तिकला की सबसे प्रभावी विशेषता क्या है?

उत्तर. संभवत: इस काल की सबसे प्रभावी विशेषता यह है कि साहित्य और मूर्तिकला दोनों में ही अनेक तरह के देवी-देवता दिखाई देते हैं। एक स्तर पर यह तथ्य इस बात का प्रतीक है कि विष्णु, शिव और देवी, जिन्हें अनेक रूपों में व्यक्त किया गया था, की पूजा की परंपरा न केवल जारी रही अपितु और अधिक विस्तृत हो गई।

प्रश्न 4. इतिहासकारों के अनुसार 8वीं से 18वीं शताब्दी के भारत में कौन-कौन सी धार्मिक प्रक्रियाएँ कार्यरत थीं?

उत्तर. (1) ब्राह्मणीय विचारधारा का प्रसार जो पौराणिक ग्रंथों की रचना, संकलन तथा परिरक्षण द्वारा हुआ। (2) स्त्रियों, शूद्रों तथा अन्य सामाजिक वर्गों की आस्थाओं एवं आचरणों को ब्राह्मणों की स्वीकृति ।

प्रश्न 5. ‘तांत्रिक पूजा’ पद्धति क्या थी? इसकी कोई दो विशेषताएँ बताओ।

उत्तर. देवी की आराधना पद्धति को प्रायः ‘तांत्रिक’ नाम से जाना जाता है।
(1) इस पूजा-पद्धति में स्त्री और पुरुष दोनों शामिल हो सकते हैं,
(2) कर्मकांडों के संदर्भ में वर्ग और वर्ण के भेद की अवहेलना की जाती थी।

प्रश्न 6. दिल्ली सल्तनत के समय हिंदू-इस्लामी संस्कृति का जन्म कैसे हुआ?

उत्तर. दिल्ली सल्तनत के समय हिंदू संस्कृति तथा मुस्लिम संस्कृति का आपस में मेल हुआ। इस प्रकार हिंदू-इस्लामी संस्कृति का जन्म हुआ।

प्रश्न 7. जोगी कौन थे?

उत्तर. जोगी गोरखनाथ तथा अघोरनाथ के शिष्य थे। ये उत्तरी भारत में बहुत ही लोकप्रिय थे। सूफी संतों पर भी इनका प्रभाव था।

प्रश्न 8. संत कबीर का पालन-पोषण किसने किया था तथा इनके अनुयायी क्या कहलाते हैं?

उत्तर. संत कबीर का पालन-पोषण एक बुनकर नीरू तथा उनकी पत्नी नीमा ने किया। कबीर जी के अनुयायी ‘कबीर-पंथी’ कहलाते हैं।

प्रश्न 9. कबीर बीजक तथा कबीर ग्रंथावली दो विशिष्ट किंतु परस्पर व्यापक परंपराएँ हैं। इनको किस प्रकार सुरक्षित रखा गया?

उत्तर. (1) कबीर बीजक’ को उनके अनुयायियों ने वाराणसी तथा उत्तर प्रदेश के अन्य स्थानों पर सुरक्षित रखा।
(2) कबीर ग्रंथावली को राजस्थान के दादू पंथियों ने जीवित रखा। कबीर जी की मृत्यु के बाद उनकी सभी पांडुलिपियों का संकलन किया गया। 19वीं शताब्दी में पद-संग्रहों को छापा भी गया।

प्रश्न 10. गुरु नानक देव जी का जन्म कब और कहाँ हुआ? इनके माता-पिता का नाम भी बताओ।

उत्तर. गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ई० में पंजाब के एक गाँव तलवंडी में हुआ। यह स्थान अब पाकिस्तान में है और ननकाना साहिब के नाम से प्रसिद्ध है। गुरु नानक देव जी के पिता का नाम मेहता कालू राम तथा माता का नाम तृप्ता था।

प्रश्न 11. गुरु नानक देव जी ने किस भक्ति रूप का प्रचार किया?

उत्तर. निर्गुण भक्ति का।

प्रश्न 12. ‘गुरु नानक देवजी का संदेश दैवत्व पर आधारित थी। इसके किन्हीं दो पहलुओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर. गुरु नानक देव जी के अनुसार-
(1) ईश्वर एक है। वह निराकार है अर्थात् उसका कोई रंग रूप नहीं है।
(2) निराकार परमात्मा की उपासना का सरल तरीका है-उनके नाम का निरंतर जाप करना।

प्रश्न 13. सूफ़ीवाद और कट्टर इस्लाम के बीच संबंध का वर्णन कीजिए।

उत्तर. अल-गज़ाली, अल-हल्लज तथा इब्न अल-अराबी के प्रयत्नों से सूफ़ीवाद 12वीं शताब्दी तक पूरी तरह से कट्टर इस्लाम में सम्मिलित हो गया। अतः सूफ़ियों ने उलेमा के साथ अपने मतभेद मिटा दिए और शरिया (Sharia) का पालन करने पर बल देना आरंभ कर दिया।

प्रश्न 14. “ग्यारहवीं शताब्दी तक आते-आते सूफ़ीवाद एक विकसित आंदोलन बन गया।” कोई दो उदाहरण दीजिए।

उत्तर. (1) 16वीं शताब्दी तक अजमेर स्थित शेख मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह बहुत ही लोकप्रिय हो गई। यहाँ बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आने लगे।
(2) नाच तथा संगीत जियारत (तीर्थयात्रा) का महत्त्वपूर्ण अंग बन गए।

प्रश्न 15. भारतीय परंपरा में भक्ति का क्या स्थान था?

उत्तर भारतीय परंपरा में भक्ति को साधना का एक अंग माना गया। इसके द्वारा मनुष्य ईश्वर को पा सकता है। भगवद्गीता में स्वयं भगवान कृष्ण ने इस तथ्य की पुष्टि की है।

प्रश्न 16. दिल्ली सल्तनत के समय के दो सूफ़ी शेखों के नाम बताओ।

उत्तर. दिल्ली सल्तनत के समय के दो सूफ़ी शेख थे-ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती तथा शेख निज़ामुद्दीन औलिया।

प्रश्न 17. वैष्णव भक्ति लहर के चार प्रमुख भक्तों के नाम बताओ।

उत्तर. वैष्णव भक्ति लहर के चार मुख्य भक्त थे-रामानुज, निंबार्क, माधव तथा रामानंद।

प्रश्न 18. लंगर-प्रथा से क्या भाव है?

उत्तर. लंगर-प्रथा से भाव उस प्रथा से है जिसके अनुसार सभी धर्मों एवं जातियों के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते थे।

प्रश्न 19. भक्ति परंपरा से जुड़े दो संप्रदायों के नाम बताओ। इस परंपरा की दो विशेषताएँ बताओ।

उत्तर. भक्ति पंरपरा से जुड़े दो संप्रदाय थे-वैष्णव संप्रदाय तथा शैव संप्रदाय।।
विशेषताएँ-(1) भक्ति परंपरा में मंदिरों में इष्टदेव की आराधना से लेकर उपासकों का प्रेमभाव में तल्लीन हो जाना शामिल था।
(2) भक्ति रचनाओं का उच्चारण अथवा गान इस उपासना पद्धति के अंश थे।

प्रश्न 20. धर्म के इतिहासकार प्रारंभिक भक्ति परंपरा को कौन-कौन से दो वर्गों में बाँटते हैं? उनकी संक्षिप्त जानकारी दीजिए।

उत्तर. धर्म के इतिहासकार भक्ति परंपरा को सगुण भक्ति और निर्गुण भक्ति में बाँटते हैं।
(1) सगुण भक्ति में शिव, विष्णु तथा उनके अवतारों और देवियों की मूर्त रूप (साकार) में उपासना शामिल है।
(2) निर्गुण भक्ति परंपरा में अमूर्त अथवा निराकार ईश्वर की उपासना की जाती है।

प्रश्न 21. अलवार संतों के मुख्य काव्य संकलन का नाम लिखिए जिसे तमिल वेद भी बताया गया है। प्रथम सहस्राब्दी के : उत्तरार्ध में तमिल क्षेत्रों के सरदारों ने इनकी मदद किस प्रकार की ?

उत्तर. अलवारों के काव्य संकलन ‘नलयिरादिव्यप्रबंधम्’ को तमिल वेद कहा जाता है। उस समय के तमिल सरदारों अथवा सम्राटों ने अलवारों को मंदिर बनाने के लिए भूमि अनुदान दिए और शिव की काँसे की मूर्तियाँ ढलवाई।।

प्रश्न 22. अलवारों तथा नयनारों की यात्राओं से तीर्थ-स्थान किस प्रकार उभरे ?

उत्तर. अपनी यात्राओं के दौरान अलवारों और नयनारों ने कुछ पावन स्थलों को अपने ईष्ट का निवास-स्थल घोषित किया। इन्हीं स्थलों पर बाद में विशाल मंदिर बनाए गए और वे तीर्थस्थल बन गए। इन मंदिरों में संत-कवियों के भजनों को अनुष्ठानों के समय गाया जाता था। साथ ही इन संतों की प्रतिमा की भी पूजा की जाती थी।

प्रश्न 23. अलवार और नयनार कौन थे? उन्हें चोल राजाओं से प्राप्त समर्थन का उल्लेख कीजिए।

उत्तर. अलवार तथा नयनार दक्षिण भारत के भक्ति संत थे। अलवार भगवान विष्णु के पुजारी थे, जबकि नयनार भगवान शिव के उपासक थे। चोल राजाओं ने स्वयं दैवी राजा दर्शाने तथा अपनी प्रजा का समर्थन जुटाने के लिए इन भक्ति संतों को समर्थन दिया।

प्रश्न 24. नयनार तथा अलवारों द्वारा चलाए गए विरोध आंदोलन की दो विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर. (1) कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अलवार और नयनार संतों ने जाति-प्रथा तथा ब्राह्मणों के प्रभुत्व के विरुद्ध आवाज़ उठाई। कुछ सीमा तक यह बात सत्य प्रतीत होती है क्योंकि भक्ति संत विविध समुदायों से थे; जैसे—ब्राह्मण, शिल्पकार, किसान आदि। |
(2) उन्होंने बौद्ध तथा जैन धर्म के प्रति अपना विरोध जताया।

प्रश्न 25. चोल शासकों ने ब्राह्मणीय तथा भक्ति परंपरा को समर्थन दिया। इसके पक्ष में उदाहरण दीजिए।

उत्तर. (1) चोल शासकों ने विष्णु तथा शिव के मंदिरों के निर्माण के लिए भूमि-अनुदान दिए। चिदंबरम, तंजावुर और गंगैकोडाचोलपुरम के विशाल शिव मंदिर चोल शासकों की सहायता से ही बने थे।
(2) इस काल में शिव की कांस्य-मूर्तियों का निर्माण भी हुआ।

प्रश्न 26. वीरशैव तथा लिंगायत कौन थे?
अथवा
बासवन्ना कौन थे?

उत्तर. 12वीं शताब्दी में कर्नाटक में एक नए आंदोलन का उद्भव हुआ जिसका नेतृत्व बासवन्ना (1106-68) नामक एक ब्राह्मण ने किया। बासवन्ना पहले जैन मत को मानते थे और चालुक्य राजा के दरबार में मंत्री थे। इनके अनुयायी वीरशैव (शिव के वीर) तथा लिंगायत (लिंग धारण करने वाले) कहलाए। लिंगायत समुदाय शिव की उपासना लिंग के रूप में करता है।

प्रश्न 27. लिंगायतों के किन्हीं दो धार्मिक विश्वासों एवं व्यवहारों का वर्णन कीजिए।

उत्तर. (1) लिंगायतों का विश्वास है कि मृत्यु के बाद भक्त शिव में लीन हो जाएँगे और इस संसार में पुनः नहीं लौटेंगे। (2) वे धर्मशास्त्र में बताए गए श्राद्ध संस्कार का पालन नहीं करते और अपने मृतकों को विधिपूर्वक दफ़नाते हैं।

प्रश्न 28. लिंगायतों ने ब्राह्मणीय पद्धति के जिन दो विचारों का विरोध किया, उनका उल्लेख कीजिए।

उत्तर. (1) लिंगायतों ने जाति और कुछ समुदायों के “दूषित होने की ब्राह्मणीय अवधारणा का विरोध किया। (2) उन्होंने पुनर्जन्म के सिद्धांत पर भी प्रश्नवाचक चिह्न लगाया।

प्रश्न 29. 13वीं शताब्दी में उत्तरी भारत में ब्राह्मणों की स्थिति में क्या परिवर्तन आया और क्यों?

उत्तर. 12वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में राजपूत राज्यों में ब्राह्मणों को महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त था और वे गैर-धार्मिक तथा धार्मिक दोनों ही कार्य करते थे। उनकी इस प्रभुसत्ता को किसी ने सीधी चुनौती नहीं दी। 13वीं शताब्दी में तुर्को द्वारा दिल्ली सल्तनत की स्थापना से स्थिति बदल गई और राजपूत राज्यों की शक्ति कम हो जाने से ब्राह्मणों का महत्त्व भी कम हो गया।

प्रश्न 30. ‘जिम्मी’ से क्या अभिप्राय है?

उत्तर. ‘जिम्मी’ मुस्लिम शासन क्षेत्र में रहने वाले संरक्षित समुदाय थे। ये गैर-मुस्लिम थे, जिनमें हिंदू, जैन, यहूदी, ईसाई आदि लोग शामिल थे। ये सरकार को जज़िया नामक कर देते थे। बदले में मुसलमान शासक इन्हें संरक्षण प्रदान करते थे।

प्रश्न 31. उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि मुस्लिम शासक शासितों के प्रति काफ़ी लचीली नीति अपनाते थे।

उत्तर. इसमें कोई संदेह नहीं कि मुस्लिम शासक शासितों के प्रति काफ़ी लचीली नीति अपनाते थे। उदाहरण के लिए अनेक शासकों ने हिंदू, जैन, पारसी, ईसाई तथा यहूदी धर्म-संस्थाओं को भूमि अनुदान तथा कर में छूट दी। उन्होंने गैर-मुस्लिम धार्मिक नेताओं के प्रति श्रद्धाभाव भी व्यक्त किया। ऐसे अनुदान अकबर, औरंगज़ेब आदि अनेक मुग़ल बादशाहों ने दिए।

प्रश्न 32. शिया समुदाय का आचार-व्यवहार सुन्नियों से किस प्रकार भिन्न था?

उत्तर. शिया अर्थात् खोजा इस्माइली समुदाय के लोगों ने कुरान के विचारों की अभिव्यक्ति के लिए देशी साहित्यिक विधा का सहारा लिया। दैनिक प्रार्थना के दौरान जीनन नाम से राग पर आधारित पंजाबी, मुलतानी, सिंधी, कच्छी, हिंदी और गुजराती में भक्ति गीत गाए जाते थे।

प्रश्न 33. ‘मलेच्छ’ कौन थे?

उत्तर. ‘मलेच्छ’ शब्द का प्रयोग प्रवासी समुदायों के लिए किया था। यह नाम इस बात की ओर संकेत करता है कि वे वर्ण-व्यवस्था के नियमों का पालन नहीं करते थे और ऐसी भाषाएँ बोलते थे जो संस्कृत से नहीं निकली थीं।

प्रश्न 34. सूफ़ी संप्रदाय के संदर्भ में ‘सिलसिला’ का क्या अर्थ है? सबसे अधिक सूफ़ी सिलसिले का नाम बताओ।

उत्तर. सूफ़ी संप्रदाय के संदर्भ में सिलसिले का शाब्दिक अर्थ है-जंजीर जो शेख और मुरीद के बीच एक निरंतर रिश्ते की प्रतीक है। इस रिश्ते की पहली अटूट कड़ी पैगंबर मोहम्मद से जुड़ी है। इस कड़ी द्वारा आध्यात्मिक शक्ति और आशीर्वाद मुरीदों तक पहुँचता | था। सबसे अधिक सूफ़ी सिलसिला ‘चिश्ती’ सिलसिला था।

प्रश्न 35. ‘सिलसिले में दीक्षा के दो अनुष्ठान बताइए।

उत्तर. ‘सिलसिले में दीक्षा के लिए विशेष अनुष्ठान थे
(1) दीक्षा पाने वाले को निष्ठा का वचन देना होता था।
(2) उसे सिर मँड़ाकर थेगड़ी लगे वस्त्र धारण करने पड़ते थे।

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