रस किसे कहते है और इसके कितने भेद होते हैं

स्थायी भाव

  • श्रृंगार–रति
  • हास्य—हास
  • करुण–शोक
  • रौद्र—क्रोध
  • वीर–उत्साह
  • भयानक—भय
  • वीभत्स—जुगुप्सा
  • अद्भुत—विस्मय
  • शांत—निर्वेद
  • वात्सल्य—वत्सलता

स्थायी भाव हमारे जन्म के दौरान ही हमारे अंदर होते हैं जैसे हम किसी बच्चे को देखते हैं जब बच्चा जन्म लेता है तो वह अपनी मां के पास रहकर भी खुशी महसूस करता है जो दूसरे लोगों के पास जाने के बाद या तो रोने लगेगा खुश नहीं होगा. तो उसे ही स्थायी भाव कहा जाता है.

विभाव

जिन कारणों से स्थायी भाव उत्पन्न होता है. उनको जागृत करता है उनको जगाता है. उनको तेज करता है. उसे विभव कहते हैं. इसके भी दो भाग होते हैं.

1.आलंबन विभाव – जिसका सहारा या आलंबन पाकर स्थायी भाव जागृत होता है,उसे आलंबन विभाव कहते है.

अगर मान लो हमें किसी को देख कर हमारे मन में प्यार उठता है या उसके लिए कुछ फीलिंग होती है. तो उस चीज को आलंबन विभाव कहेंगे. क्योंकि हमारे मन में उसके लिए प्यार तो पहले से ही है. लेकिन उसको सामने देखने के बाद उसके लिए हमें फीलिंग उठनी शुरू हो जाती है. यानी जब हमारा प्यार जागना शुरू हो जाता है. तो इसी चीज को आलंबन विभाव कहां जाता है.

2.उद्दीपन विभाव जिन वस्तुओ या परिस्थिति को देखकर स्थायी भाव उद्दीप्त होने लगता है. मान लो हमें किसी को देख कर हमारे मन में प्यार उठता है. या उसके लिए कुछ फीलिंग होती है. तो उस चीज को हम उद्दीपन विभाव कहेंगे. क्योंकि हमारे मन में उसके लिए प्यार तो पहले से ही है. लेकिन  किसी को सामने देखने के बाद उसके लिए हमें फीलिंग उठनी शुरू हो जाती है. यानी जब हमारा प्यार जागना शुरू हो जाता है तो इसी चीज को उद्दीपन विभाव कहां जाता है.

अनुभाव

मन के भाव को व्यक्त करने वाले शरीर विकार ही अनुभाव कहलाते है. अर्थात वह भाव जिसके द्वारा किसी व्यक्ति के मन के भावो  को उसके शरीर के विकारो से जाना जा सकता है.इसके भी दो भाग होते हैं.

1.कायिक  – मान लो अगर आपको कोई भी जानवर मारने के लिए आपके पीछे दौड़ रहा है. और आप उसको दूर करने के लिए या उससे भगाने के लिए कुछ चीजें  उठाते हो जैसे लाठी, तलवार या कुछ भी चीज जो आप अपनी मर्जी से उठाते हैं. वह कायिक अनुभाव कहलाता. जो अपनी खुद की मर्जी से किया जाता हो.

2.सात्विक – जो काम अपनी मर्जी के विरुद्ध हो रहा हो या अपनी इच्छा के विरुद्ध हो रहा हूं उसे सात्विक अनुभाव कहते हैं.मान लीजिए अगर आप कहीं जंगल में जा रहे हैं. और आपको डर लग रहा है. कि सामने से शायद शेर आ जाएगा तो आप अपने आप डर जाते हैं.जिससे कई बार आपके शरीर पर पसीना छूटने लगता है. यह आपके हाथ पैर कांपने लगते हैं. जिस पर कि आप को कंट्रोल नहीं होता है. और वह अपने आप को और कांपने लग जाते हैं. तो इस स्थिति में हम उसको सात्विक अनुभाव कहेंगे.

संचारी भाव

मन में संचरण अर्थात आने – जाने वाले भावो को संचारी भाव कहते है. जो हमारे मन में कुछ समय के लिए महसूस होता है या कुछ समय के लिए जो भाव आते हैं. जैसे हम शहर जा रहे हैं और हमारी बस छूट गई तो हमें कुछ समय के लिए ऐसा महसूस होगा कि शायद अगर यह बस हमारी ना छुटती तो सायद हम टाइम से शहर पहुंच सकते थे. लेकिन वह कुछ ही समय के लिए हमें महसूस होगा. बाद में हम उसे भूल जाएंगे. यानी कुछ समय के लिए हमारे मन में वह विचार आया और बाद में वापस चला गया उसे हम  संचारी भाव कहते है.

वीर रस कितने प्रकार के होते हैं

जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे भाव की उत्पत्ति हो तो वहाँ वीर रस (Veer Ras) होता है. वीर रस का स्थायी भाव उत्साह होता है. जब उत्साह उत्पन्न करने वाले विषय का वर्णन हो तो वहाँ वीर रस होता है. वीर रस के मुख्य रूप से चार प्रकार हैं:

  • युद्धवीर
  • दानवीर
  • धर्मवीर
  • दयावीर

उदाहरण 

साजि चतुरंग सैन अंग मै उमंग धरि ,

सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत है

श्रृंगार रस कितने प्रकार के होते हैं

परिभाषा- जब पति-पत्नी / प्रेमी-प्रेमिका / नायक-नायिका के मन में स्थाई भाव रति जागृत होकर आस्वादन के योग्य हो जाता है, तो इसे शृंगार रस कहा जाता है। शृंगार रस में प्रेम का वर्णन होता है। जब विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी के संयोग से रति नामक स्थायी भाव रस रूप में परिणत हो, तो उसे शृंगार रस कहते हैं

श्रृंगार रस दो प्रकार के होते हैं-

  • संयोग शृंगार रस
  • वियोग / विप्रलंभ रस

9 रस कौन कौन से हैं?

रस के प्रकार नौ हैं – वात्सल्य रस को दसवाँ एवं भक्ति रस को ग्यारहवाँ रस भी माना गया है। वत्सलता तथा भक्ति इनके स्थायी भाव हैं। विवेक साहनी द्वारा लिखित ग्रंथ “भक्ति रस– पहला रस या ग्यारहवाँ रस” में इस रस को स्थापित किया गया है।

क्रमांक रस का प्रकार स्थायी भाव
1. वीभत्स रस घृणा, जुगुप्सा
2. हास्य रस हास
3. करुण रस शोक
4. रौद्र रस क्रोध
5. वीर रस उत्साह
6. भयानक रस भय
7. शृंगार रस रति
8. अद्भुत रस आश्चर्य
9. शांत रस निर्वेद
10. वात्सल्य रस वत्सल
11. भक्ति रस अनुराग,देव रति

भाव कितने प्रकार के होते हैं

रसों के आधार भाव हैं। भाव मन के विकारों को कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं- स्थायी भाव और संचारी भाव। यही काव्य के अंग कहलाते है।

तो आज हमने आपको इस पोस्ट में रस व उसके भेद Ras Bhed in Hindi रस भेद रस के भेद रस के भेद उदाहरण सहित रस के भेद और उदाहरण रस के कितने भेद होते है kitne prakar ke ras hote hain हास्य रस के भेद रस की परिभाषा व भेद रस के कितने भेद है रस के कितने अंग होते हैं भाव कितने प्रकार के होते हैं रस कितने प्रकार के होते हैं बताइए ,रसों की संख्या ,Ras Ke Kitne Bhag Hote Hain ras ke prakar with examples ras kitne prakar ke hote hain रस कितने प्रकार के होते हैं Class 10? रस कितने प्रकार के होते हैं Class 12? रस किसे कहते हैं रस के प्रकार कौन कौन से हैं? रस कितने प्रकार के होते हैं class 9? के बारे में बताया गया है .तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आए तो शेयर करना ना भूलें और यदि आपका इसके बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं.

Ras Kise Kahte Hai FAQ

Q. रस मुख्य रूप से कितने प्रकार के होते हैं?
Ans. रस मुख्य रूप से ९ प्रकार के होते है।

Q. श्रृंगार रस कितने प्रकार के होते हैं?
Ans. श्रृंगार रस के दो प्रकार है पहिला है संयोग श्रृंगार और दूसरा है वियोग श्रृंगार।

Q. रस कितने प्रकार के होते हैं उदाहरण सहित
Ans. अगर आपको रस के प्रकार उदाहरण सहित जानना है तो इस आर्टिकल में आपको वह जानने को मिलेगा।

Q. रस के कितने अंग होते हैं?
Ans. रस के कुल चार अंग होते है।

Q. भाव कितने प्रकार के होते हैं?
Ans. मुख्य रूप से ९ प्रकार के स्थायी भाव होते है।

25 thoughts on “रस किसे कहते है और इसके कितने भेद होते हैं”

  1. Pradhuman Chaubey Babu

    Adbhut Ras Karun Ras Hasya Ras Veer Ras Singar Ras Ke udharan Bhi Ke udharan Bhi bataiye please answer my question soon sir

  2. उमाशंकर यादव

    क्या रस के प्रकार ही उसके भेद होते है ?

  3. Chatvedi Shubham

    Sir what is ras how many types of ras please answer my question soon sir please see attached my problem please I’m waiting

  4. Chatvedi Shubham

    Sir what is a ras how many types of ras please answer my question soon sir please solved my problem Sir soon please I’m waiting

  5. दीपक कुमार साह

    really बहुत अच्छा समझ मे आया।धन्यवाद!

  6. Agar koi Marta hai jisse kisi ke upar bahut Bura prabhav padta hai yaha tak ki vah khana chodkar karne ki koshish karta hai ya wo mann me baith jata hai to Kaun sa bhav hoga

  7. Excellent ????????
    Aur sab kuch smaj ha raha h
    Define be acha sa kia h good jod ……….????????????????????✍????????????????????????

  8. Dhanraj Prajapati

    प्राचीन भारत का इतिहास और मिलने वाले प्रमाण Prachin Bharat प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में जानकारी मुख्यतः चार स्रोतों से प्राप्त होती है

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