हिंदी मात्राएँ और बारहखड़ी क से ज्ञ तक
आज हम आपको इस पोस्ट में एक बहुत ही बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी बताएंगे यह जानकारी आपके लिए जानना बहुत ही जरूरी है. और यह आपके बहुत ही काम आने वाली जानकारी है. जैसा की हमने आपको पिछले विश्व में पिछली पोस्ट में हिंदी व्याकरण के पद और शब्द विषय के बारे में पूरी विस्तार से जानकारी उसी तरह से आज हम आपको हिंदी व्याकरण के एक और नए विषय के बारे में जानकारी देंगे. आज का विषय हिंदी व्याकरण की मात्राएं है. आज हम आपको इस पोस्ट में हिंदी में कितनी मात्राएं होती हैं. और यह किस तरह से काम करती है. और मात्राएं क्यों जरूरी होती हैं.
मात्राओं को कैसे इस्तेमाल किया जाता है. उनके बारे में पूरी विस्तार से जानकारी देंगे और मात्राएं एक ऐसा विषय होता है जो हिंदी लेखन के लिए बहुत ही जरूरी होता है हिंदी में शब्दों की रचना से लेकर पदों की रचना तक हिंदी मात्राओं का इस्तेमाल किया जाता है वैसे कुछ बिना मात्रा वाले शब्द हो सकते हैं लेकिन सभी शब्द बिना मात्रा के नहीं हो सकते हैं हिंदी प्रभावशाली भाषा के लेखन के लिए हिंदी मात्राएं बहुत ही जरूरी होती है इसलिए आपको मात्राओं का ज्ञान होना बहुत ही जरूरी है तो आज हम आपको इस पोस्ट में हिंदी की मात्राओं से संबंधित पूरी जानकारी विस्तार से बताएंगे देखिए.
हिंदी मात्राएँ और बारहखड़ी क से ज्ञ तक
जैसा की हमने आपको पहले ही बताया है. कि व्यंजन एक ऐसे अक्षर होते हैं. जो दूसरों की मदद से बोले जाते हैं. और वह जो बोलने के लिए जिनकी मदद लेते हैं. वह स्वर होते हैं.यानी स्वर ऐसे होते हैं. जो अपनी ध्वनियों को व्यंजन के साथ मिलाते हैं. या हम इस तरह से कह सकते हैं. स्वरो की ध्वनियां व्यंजनों के साथ मिलाई जाती है.अब इन स्वरो की ध्वनियों को पहचानने के लिए की व्यंजनों में कौन से स्वर का समावेश किया गया है. उसी के लिए मात्राएं बनाई गई है. नीचे हम आपको बताएंगे कि वह कौन-कौन स्वर हैं. जो और उनकी कौन-कौन सी मात्राएं हैं. जो प्रयोग की जाती हैं.तो देखिये.
स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ,औहमारे हिंदी व्याकरण में 11 अक्षर होते हैं. जिनके बारे में हमने आपको लिखकर बताया है. अएक ऐसा शब्द होता है. जिसकी ध्वनि हर एक व्यंजन के साथ पहले से ही मिली होती है. यदि व्यंजन को सामान्य रूप में लिखा गया है. तो उसके साथ में एक ही ध्वनि हमेशा मिली हुई रहेगी. यदि व्यंजन को स्वर रहित लिखा गया है. यानी कि हलंत के साथ लिखा गया है. या आधा शब्द लिखा गया है. तो उस समय पर एक ही ध्वनि उसमें नहीं मिली होगी तो नीचे हम आपको इन सभी स्वरों की मात्राओं के बारे में बताएंगे इन की कौन-कौन सी मात्राएं होती है. तो देखिए
मात्राएँ
अ :अ की कोई मात्रा नहीं होती. लेकिन ऐसा नहीं है कि अ की ध्वनि व्यंजनों के साथ नहीं मिलाई जाती है. कि ध्वनि व्यंजनों के साथ मिलाई जाती है. क्योंकि जैसा की हमने आपको बताया है. इसकी ध्वनि पहले से ही व्यंजनों के साथ मिली हुई होती है. लेकिन अ शब्द की अलग से कोई मात्रा नहीं होती है. यानी कि इसका कोई भी निशान नहीं होता है. जिससे इसकी पहचान की जा सके कि यह किसी व्यंजन के साथ मिला हुआ है.
आ : ा , आ मात्रा एक डंडी के रूप में होती है. जो किसी भी अक्षरों के पीछे लगी हुई होती हैं. व्यंजन अक्षरों के बाद यदि एक सीधी ठंडी लगी हुई होती है तो वहां पर हम समझेंगे कि उस व्यंजन के साथ शब्द की मात्रा जुड़ी हुई है आ शब्द का अवसर मिला हुआ है वहां पर हम आ शहर को व्यंजन की धनि के साथ मिलाकर बोलेंगे.जैसे का
इ :ि, इ की मात्रा इस तरह से होगी और यह मात्रा हमेशा अक्षरों के आगे से लगी होती है. जैसे कि
ई :ी यह बड़ी ई की मात्रा होती है. वैसे तो यह छोटी इ की मात्रा के जैसी होती है लेकिन यह उससे उल्टी होती है और यह किसी भी अक्षर के पीछे लगी हुई होती है. जैसे की
उ :ुउ की मात्रा इस तरह से होती है पूरी है किसी भी शब्द के नीचे लगती है यह छोटे उ की मात्रा है जैसे हम इस तरह से इस मात्रा को लगाते हैं. कु
ऊ :ू ऊ की मात्रा इस तरह से लगती है और यह किसी भी शब्द के नीचे लगती है यह बड़े ऊ की मात्रा होती है यह बिल्कुल छोटे उ की मात्रा के जैसे होती है. लेकिन यह उल्टी साइड में लगती है. जैसे कू
ऋ :ृ ऋ की मात्रा इस तरह से होती है.और यह भी ओ की मात्रा की तरह है अक्षर के नीचे लगती है. यह अंग्रेजी के c शब्द के समान दिखाई देती है.जैसे कृ
ए :े ए की मात्रा इस तरह से होती है यह छोटी ए की मात्रा है. यह किसी भी अक्षर के ऊपर लगती है. जैसे लेकिन कई विद्यार्थी यह सोचते हैं कि ए के ऊपर कोई डंडी नहीं है तो इसकी मात्रा ऐसी क्यों है. के
ऐ : ै ऐ की मात्रा इस तरह से होती है. यह बड़े ऐ की मात्रा होती है. इसके ऊपर दो डंडी लगी हुई होती है. और यह भी अक्षरों के ऊपर लगती है. जैसे कि हमने आपको ऊपर बताया था. कई विद्यार्थी यह सोचते हैं. कि छोटे ए की मात्रा के ऊपर एक भी ठंडी नहीं है. लेकिन छोटे एक ही मात्रा के ऊपर एक ठंडी लगेगी जबकि बड़े ऐ के ऊपर एक मात्रा होती है. और इसकी मात्रा किसी भी अक्षर के ऊपर जब लगती है. तो 2 डंडी लगती है. जैसे कै
ओ :ो ओ की मात्रा ऐसी होती है.ओ की मात्रा में एक ठंडी पीछे जैसे आ की मात्रा लगाते हैं. वैसे और एक डंडी उसके ऊपर जैसे छोटे एक ही मात्रा लगाते हैं फिर यह ओ की मात्रा बन जाएगी जैसे को
औ : ौ औ की मात्रा भी ओ की मात्रा के जैसे होती है लेकिन इसके ऊपर दो डंडी होती हैं. जैसेकौ
दो और ऐसी मात्राएं होती हैं जिनका इस्तेमाल किया जाता है लेकिन उनको स्वर में समावेश नहीं किया जाता क्योंकि वह अयोगवाह मात्राएं होती हैं अयोगवाह में दो अक्षर आते हैंअं अःयह दो शब्द अयोगवाह शब्द होते हैं.अं को अनुस्वार कहते हैं और अः को विसर्ग कहते हैं. विसर्ग की मात्रा प्राय संस्कृत शब्दों के साथ प्रयोग की जाती है और अनुस्वार की मात्रा किसी अक्षर के ऊपर किसी बिंदु के रूप में प्रयोग की जाती है
अं : ं अं की मात्रा कैसी होती है अं की मात्रा किस अक्षर के ऊपर एक बिंदु के रूप में प्रयोग की जाती है और जैसे कं
अः : ःअः की मात्रा ऐसी होती है और यह अक्षर के बाद प्रयोग की जाती है यह अक्सर के पीछे लगती है और यह दो बिंदुओं के रूप में अक्षर के पीछे लगती है. जैसेकः
बारहखड़ी
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि बचपंन में आपको भी अध्यापकों ने बारहखड़ी पढ़ाई होगी लेकिन गलती से कुछ अध्यापक बच्चों को बारहकड़ी बोल देते हैं. लेकिन वास्तव में यह बारहखड़ी होती है. इसको बारहखड़ी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें अक्षरों के ऊपर बारह मात्राओं को लगाया जाता है इसलिए इनको बारहखड़ी बोला जाता है. लेकिन ऋ मात्राएं को छोड़कर जितनी भी मात्राएं है उन सभी का प्रयोग अक्षर के ऊपर किया जाता है. उनको बारहखड़ी बोला जाता है.इनमें से हम आपको नीचे बारहखडी लिख कर बताएंगे. उसी तरह से सभी अक्षरों की बारहखडी लिखी जाती है.
हिंदी बारहखड़ी In English
A | AA | I | EE | U | OO | E | AI | O | AU | AN | AH |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
– | ा | ि | ी | ु | ू | े | ै | ो | ौ | ं | ः |
K | KA | KI | KEE | KU | KOO | KE | KAI | KO | KAU | KN | KAH |
KH | KHA | KHI | KHEE | KHU | KHOO | KHE | KHAI | KHO | KHAU | KHN | KHAH |
G | GA | GI | GEE | GU | GOO | GE | GAI | GO | GAU | GN | GAH |
GH | GHA | GHI | GHEE | GHU | GHOO | GHE | GHAI | GHO | GHAU | GHN | GHAH |
CH | CHA | CHI | CHEE | CHU | CHOO | CHE | CHAI | CHO | CHAU | CHN | CHAH |
CHH | CHHA | CHHI | CHHEE | CHHU | CHHOO | CHHE | CHHAI | CHHO | CHHAU | CHHN | CHHAH |
J | JA | JI | JEE | JU | JOO | JE | JAI | JO | JAU | JN | JAH |
JH | JHA | JHI | JHEE | JHU | JHOO | JHE | JHAI | JHO | JHAU | JHN | JHAH |
T | TA | TI | TEE | TU | TOO | TE | TAI | TO | TAU | TN | TAH |
TH | THA | THI | THEE | THU | THOO | THE | THAI | THO | THAU | THN | THAH |
D | DA | DI | DEE | DU | DOO | DE | DAI | DO | DAU | DN | DAH |
DH | DHA | DHI | DHEE | DHU | DHOO | DHE | DHAI | DHO | DHAU | DHN | DHAH |
N | NA | NI | NEE | NU | NOO | NE | NAI | NO | NAU | NN | NAH |
T | TA | TI | TEE | TU | TOO | TE | TAI | TO | TAU | TN | TAH |
TH | THA | THI | THEE | THU | THOO | THE | THAI | THO | THAU | THN | THAH |
D | DA | DI | DEE | DU | DOO | DE | DAI | DO | DAU | DN | DAH |
DH | DHA | DHI | DHEE | DHU | DHOO | DHE | DHAI | DHO | DHAU | DHN | DHAH |
N | NA | NI | NEE | NU | NOO | NE | NAI | NO | NAU | NN | NAH |
P | PA | PI | PEE | PU | POO | PE | PAI | PO | PAU | PN | PAH |
PH | PHA | PHI | PHEE | PHU | PHOO | PHE | PHAI | PHO | PHAU | PHN | PHAH |
B | BA | BI | BEE | BU | BOO | BE | BAI | BO | BAU | BN | BAH |
BH | BHA | BHI | BHEE | BHU | BHOO | BHE | BHAI | BHO | BHAU | BHN | BHAH |
M | MA | MI | MEE | MU | MOO | ME | MAI | MO | MAU | MN | MAH |
Y | YA | YI | YEE | YU | YOO | YE | YAI | YO | YAU | YN | YAH |
R | RA | RI | REE | RU | ROO | RE | RAI | RO | RAU | RN | RAH |
L | LA | LI | LEE | LU | LOO | LE | LAI | LO | LAU | LN | LAH |
L | LA | LI | LEE | LU | LOO | LE | LAI | LO | LAU | LN | LAH |
V | VA | VI | VEE | VU | VOO | VE | VAI | VO | VAU | VN | VAH |
SH | SHA | SHI | SHEE | SHU | SHOO | SHE | SHAI | SHO | SHAU | SHN | SHAH |
SH | SHA | SHI | SHEE | SHU | SHOO | SHE | SHAI | SHO | SHAU | SHN | SHAH |
S | SA | SI | SEE | SU | SOO | SE | SAI | SO | SAU | SN | SAH |
H | HA | HI | HEE | HU | HOO | HE | HAI | HO | HAU | HN | HAH |
KSH | KSHA | KSHI | KSHEE | KSHU | KSHOO | KSHE | KSHAI | KSHO | KSHAU | KSHN | KSHAH |
TR | TRA | TRI | TREE | TRU | TROO | TRE | TRAI | TRO | TRAU | TRN | TRAH |
GY | GYA | GYI | GYEE | GYU | GYOO | GYE | GYAI | GYO | GYAU | GYN | GYAH |
SHR | SHRA | SHRI | SHREE | SHRU | SHROO | SHRE | SHRAI | SHRO | SHRAU | SHRN | SHRAH |
अब आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा कि हिंदी व्याकरण में मात्राएं कितनी होती है. और इन मात्राओं को कैसे इस्तेमाल किया जाता है और उन मात्राओं को किस तरह से इस्तेमाल किया जाता है. और किस तरह से इन मात्राओं का इस्तेमाल करके एक शब्द या वाक्य का निर्माण किया जाता है.यह सभी 12 मात्राएं हैं और इसीलिए हम 12 मात्राओं के प्रयोग से जब किसी अक्षर का निर्माण करते हैं तो उसे अक्षर की बारहखड़ी कहते हैं.लेकिन हम अं और अः बारहखडी नहीं बना सकते हैं. ण की बाराखडी हम बना सकते हैं. लेकिन उसके अंदर कुछ ही मात्राओं का प्रयोग किया जाता है.
तो आज हमने आपको इस पोस्ट में हिंदी मात्राएँ और बारहखड़ी हिंदी मात्राएँ हिंदी मात्रा ज्ञान मात्राओं का ज्ञान हिंदी मात्र चार्ट शुद्ध हिंदी कैसे सीखें बारहखड़ी इन हिंदी matra kise kehte hain hindi mein बारहखड़ी in english Hindi mein Matra likhiye अंग्रेजी बारहखड़ी हिन्दी अंग्रेजी बारहखड़ी बारहखड़ी इंग्लिश में मात्रा कितने प्रकार की होती है महत्वपूर्ण जानकारी बताइ है . यह जानकारी आपके लिए जानना बहुत ही जरूरी था क्योंकि कई बार इस तरह की मात्राओं की हमें बहुत ज्यादा दिक्कत होती है आज हमने आपको इस पोस्ट में हिंदी व्याकरण की मात्राओं के बारे में बताया मात्राएं कितनी होती है. और इनको किस प्रकार से इस्तेमाल किया जाता है. तो यदि हमारे द्वारा बताई गई यह जानकारी आपको पसंद आए तो शेयर करना ना भूलें और यदि आपका इसके बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं.
Bahut hi usefull information di hai aapne
हम अं और अ: की बारहखड़ी कैसे नहीं बना सकते? कृप्या उधारण देकर समझाए।और ण की बारहखड़ी कैसे बना सकते हैं।ये भी।
बारहखड़ी में ऋ की मात्रा को क्यों नहीं लिखते हैं please give me answer