जैव विविधता किसे कहते है – Biodiversity In Hindi
Jaiv vividhata in hindi – आज हम आपको इस पोस्ट में एक और महत्वपूर्ण जानकारी देंगे यह जानकारी आपके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगी आज हम आपको इस पोस्ट में जैव विविधता के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देंगे. जैव विविधता क्या होती है और इसके कितने प्रकार होते हैं यह जानकारी आपको इस पोस्ट में हम बताएंगे. यह जानकारी आपके लिए जानना बहुत ही जरूरी है. क्योंकि यह जानकारी कई बार आपके एग्जाम में आती है जिसका जवाब आप नहीं दे पाते हैं. तो यदि आप हमारी द्वारा बताई गई यह जानकारी अच्छे से पढ़ते हैं तो आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी क्योंकि हम आपको इस पोस्ट में इस जानकारी के बारे में पूरी और विस्तार से उदाहरण सहित बताएंगे तो देखिए.
जैव विविधता किसे कहते है
Jaiv vividhata in hindi – सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि जैव विविधता का मतलब क्या होता है.जैसे कि इसके नाम से ही पता चलता है. जैव हो या जीव और विविधता उनकी विभिन्नताएं यानी जीव की विभिन्नताएं.जीव जंतुओं की जातियों में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की विभिन्नताएं या उनकी विशेषताएं ही जैव विविधता कहलाती है. इसमें जीव जंतु पक्षी पादप या दूसरे जानवर यह सभी जैव विविधता में आते हैं.उदाहरण के लिए जैसे अगर हम रेगिस्तान के पौधे देखेंगे तो वह अलग मिलेंगे वहां के जीव अलग मिलेंगे वहां की जानवर अलग मिलेंगे और अगर हम जलीय क्षेत्र में जीवो को देखते हैं. तो यहां के जानवर जीव जंतु पेड़ पौधे अलग मिलते हैं. यानी उन सभी में अलग-अलग विभिन्नताएं होती है.
यही जैव विविधता कहलाती है. सीधी भाषा में अगर हम बात करें तो यानी कि किसी भी जीव या जंतु के रहन-सहन और उसके खान-पान और उसकी दृष्टि दुसरे जीव-जंतुओं से अलग होती है. वह जैव विविधता कहलाता है.जैसे मान लो आपके पास एक कुत्ता है. और एक कोई पक्षी है तो जब आप उन को खाना खिलाते हैं. तो दोनों को खाना खिलाने का तरीका अलग होगा तो वह विभिन्नताएं है. वह एक दूसरे के जैसे नहीं है. यही जैव-विविधता होती है. अब शायद आपको अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा की जय विविधता क्या होती है. जैव विविधता को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है. तो नीचे हम उनके बारे में आपको बता रहे है. सबसे पहले हम बात करेंगे आनुवंशिक जैव विविधता के बारे में.
1. आनुवंशिक जैव विविधता
आनुवंशिक विविधता मुख्य रूप से गुणसूत्रों के ऊपर आधारित है. जब किसी एक ही प्रजाति के जीव जंतु जानवर पक्षियों में अगर किसी भी तरह की विभिन्नता पाई जाती है. तो उसे आनुवंशिक जैव विविधता कहा जाता है. उदाहरण के लिए अगर मान लीजिए आप मनुष्य होमोसेपियन प्रजाति में आता है वह होमोसेपियन प्रजाति में आने के बाद भी दो भाइयों या दो बहनों की विभिन्नताएं अलग-अलग होती है. क्योंकि वह तो एक ही प्रजाति के लेकिन फिर भी उनकी विभिन्नताएं अलग-अलग है. चाहे वह उनकी किसी भी तरह की विभिन्नताएं हो चाहे वह उनकी हाइट को लेकर हो, चाहे वह उनके कलर को लेकर हो, चाहे वह उसके फेस चाहे उनके खाने पीने से हो, उनके बोलने से लेकर हो चाहे, बॉडी को लेकर हो किसी भी तरह का हो उन सभी की चीजें बिल्कुल अलग अलग मिलेंगे. यह कभी एक जैसी नहीं होती है तो यह सभी चीजें आनुवंशिक विविधता के अंदर आती है. और यह एक ही माता-पिता की संतति में भी पाया जाता है और इसका मुख्य कारण होता है वह उनके गुणसूत्र का परिवर्तन गुणसूत्रों के परिवर्तन के कारण इस प्रकार की विभिन्नता एक ही प्रजाति की में पाई जाती है.
2.प्रजातीय जैव विविधता
किसी विशेष समय में किसी विशेष स्थान पर दो या दो से अधिक प्रजातियों को पाया जाना प्रजातीय जैव विविधता कहलाता है. जैसे कि अगर मान लीजिए आपके पास एक ही समय में कुत्ते भी हैं. बिल्ली भी हैं. और घोड़े भी हैं. या दूसरे कुछ और जीव-जंतु हैं. तो एक ही समय पर एक ही स्थान पर अलग अलग तरह की प्रजातियां आपके पास है. तो यह प्रजातीय जैव विविधता में आता है.
1.समृद्ध प्रजाति – प्रजातीय जैव विविधता में एक और चीज भी आती है. जिसका समृद्ध प्रजाति के नाम से जाना जाता है. समृद्ध प्रजाति वह होती है जब एक ही समय पर एक ही जगह किसी दो या दो से अधिक प्रजाति होती है.और उन प्रजातियों में जिस भी प्रजाति की संख्या ज्यादा होगी वह समृद्ध प्रजाति कहलाती है. जैसे कि मान लो अगर आपके पास एक ही समय पर एक ही जगह पांच कुत्ते 5 बिल्ली और 10 घोड़े हैं तो उन सब में घोड़े समृद्ध प्रजाति में माने जाएंगे.
2.सम प्रजाति क्षेत्र – जब किसी विशेष समय पर किसी विशेष स्थान पर सभी प्रजातियों के जीवो की संख्या समान हो या बराबर हो तो उससे सम प्रजाति क्षेत्र कहां जाता है. मान लीजिए आप के पास एक विशेष समय पर एक विशेष स्थान पर चार कुत्ते 4 बिल्ली चार घोड़े हैं.यह अंदाजा लगाना मुश्किल है. कि कौन सी प्रजाति की संख्या ज्यादा है. वैसे तो बहुत कम होता है. कि सभी जातियों की संख्या एक जैसी हो लेकिन फिर भी अगर किसी भी तरह से इनकी संख्या एक जैसी होगी तो उस अवस्था में इनको सम प्रजाति क्षेत्र कहा जाता है.
3.वैश्विक जैव विविधता – अगर किसी विशेष समय पर किसी विशेष स्थान पर बहुत सारी प्रजातियां होती है. और उन सभी की अलग-अलग विभिन्नताएं होती है. तो उनको वैश्विक जैव विविधता कहा जाता है. मान लीजिए अगर एक ही जगह पर हाथी कुत्ते बिल्ली घोड़े ऊंट यह सभी एक ही समय पर एक ही जगह पर मौजूद है. तो इन सभी की विशेषताएं विभिन्नताएं अलग-अलग होती है. तो इस स्थिति में इनको वैश्विक जैव विविधता कहां जाएगा.
3. पारिस्थितिकीय जैव विविधता
किसी विशेष पारिस्थितिक तंत्र में अगर जीवो में विभिन्नताएं पाई जाए तो उसे पारिस्थितिक जैव विविधता कहते हैं. पारिस्थितिक तंत्र एक ऐसा तंत्र होता है. जिसमें विभिन्न प्रकार के सजीव उस क्षेत्र के निर्जीव वातावरण से आपस में अंतर संबंध रखते हैं. और सजीव और निर्जीव में जो अंतर्संबंध की प्रक्रिया होती है. उसे पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं. और पारिस्थितिक तंत्र कई प्रकार के होते हैं. जैसे जलीय पारिस्थितिकी,रेगिस्तानी पारिस्थितिक तंत्र ,मैदानी पारिस्थितिक तंत्र यह सभी अलग-अलग तरह के पारिस्थितिक तंत्र होते हैं, यह सभी पारिस्थितिक तंत्र के भाग होते हैं, और इन अलग-अलग तरह के भागों में भी जीव उपस्थित होते हैं और विभिन्न प्रकार के सजीव उत्पन्न होते हैं. और वह अपनी क्रियाएं अंतसंबंध आपस में कर सकते हैं. यदि मान लीजिए रेगिस्तानी क्षेत्र में पाए जाने वाले जीव को अगर जलीय क्षेत्र में छोड़ दिया जाए तो वह वहां पर जीवित नहीं रह पाएंगे.
जैव विविधता की उपयोगिता
जैव विविधता की उपयोगिता यानी जैव विविधता हमारे लिए किस प्रकार फायदेमंद है. हमारे लिए जैव विविधता क्यों जरूरी है.
1. पृथ्वी का संतुलन – जैव विविधता पृथ्वी के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान देती है. हमारा जो पारिस्थितिक तंत्र होता है. उसमें एक खाद्य जाल होता है उस खाद्य जाल से विभिन्न प्रकार के जीव गुजरते हैं सबसे पहली शुरुआत इसकी पौधों से होती है पौधों को शाकाहारी जीव खाते हैं शाकाहारी जीव को कुछ मांसाहारी जीव खाते हैं इस तरह से एक दूसरे को जीव खाते रहते हैं जिससे कि हमारी पृथ्वी का संतुलन बना रहता है अगर एक दूसरे को यह जीव नहीं खाएंगे तो हमारी पृथ्वी पर जीवों की मात्रा या जानवरों की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी इसलिए जैव विविधता हमारे पृथ्वी के संतुलन को बनाए रखने में हमारी मदद करती है.
2. खाद्य सामग्री – खाद्य पदार्थों के संतुलन को बनाए रखने में एक भी जैव विविधता का होना बहुत ही जरूरी है. जैसे कि हमें पौधों से दाल या खाने के दूसरे फल या खाने योग्य दूसरी चीजें मिलती है. और जैसे हम मांस भी खाते हैं. और हमें पशुओं से दूध या घी जैसी चीजें मिलती है. तो यह सभी जैव विविधता के कारण ही होता है. इन सभी का संतुलन जैव विविधता के कारण बना रहता है. इसलिए खाद्य पदार्थों के लिए जैव विविधता हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद होती है.
3. औषधि निर्माण – आप सभी जानते होंगे कि औषधियां बनाने के लिए बहुत से पेड़ पौधों और जीव जंतुओं का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए यह जैव विविधता हमारे औषधि निर्माण के लिए भी महत्वपूर्ण है.
4. पृथ्वी की सुंदरता – जैव विविधता के कारण हमारी पृथ्वी की सुंदरता भी बढ़ती है. जैसे की हम अनेक प्रकार के पेड़ पौधे हमारे घर में या हमारे आसपास लगाते हैं. जिससे कि हमारे घर की सुंदरता बढ़ती है तो पृथ्वी की सुंदरता को बनाए रखने में भी जैव विविधता का बहुत महत्व है.
5. धार्मिक रूप – धार्मिक रूप से भी जरूरी है. जैसे कि हम पादपों की पूजा करते हैं. जैसे तुलसी की पूजा करते हैं. पीपल की पूजा करते हैं. या गाय की भी पूजा करते हैं. तो यह हमारे लिए धार्मिक रूप से भी जरूरी है.
तो आज हमने आपको इस पोस्ट में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और फायदेमंद जानकारी बताइए इसमें हमने आपको जैव विविधता क्या होती है. जैव विविधता क्या है इसके प्रकारों को संक्षिप्त में समझाइए? जैव विविधता का क्या अर्थ है? जैव विविधता के संरक्षण के कितने प्रकार होते है? जैव विविधता के संरक्षण से आपका क्या अभिप्राय है?जैव विविधता की परिभाषा (Definition of Biodiversity) जैव विविधता के कितने भाग हैं types of biodiversity in hindi importance of biodiversity in hindi जैव विविधता pdf in hindi What is Biodiversity in Hindi के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. यदि हमारे द्वारा बताई गई जैव विविधता के बारे में आपको जानकारी पसंद आए तो शेयर करना ना भूलें और यदि आपका इसके बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं.
जैव विविधता के – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
जैव विविधता की परिभाषा क्या है?
जैव विविधता जीवन और विविधता के संयोग से निर्मित शब्द है जो आम तौर पर पृथ्वी पर मौजूद जीवन की विविधता और परिवर्तनशीलता को संदर्भित करता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (युएनईपी), के अनुसार जैवविविधता biodiversity विशिष्टतया अनुवांशिक, प्रजाति, तथा पारिस्थितिकि तंत्र के विविधता का स्तर मापता है।
जैव विविधता कितने प्रकार के होते हैं?
जैव-विविधता तीन प्रकार की हैं। (i) आनुवंशिक विविधता, (ii) प्रजातीय विविधता; तथा (iii) पारितंत्र विविधता। प्रजातियों में पायी जाने वाली आनुवंशिक विभिन्नता को आनुवंशिक विविधता के नाम से जाना जाता है।
सर्वाधिक जैव विविधता कहाँ पाई जाती है?
सर्वाधिक जैव विविधता उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन में पाई जाती है।
जैव विविधता क्या है यह मानव जीवन के लिए?
जैव विभिन्नता का अर्थ जैव विभिन्नता में वन्य जीवन और प्रजातियों की अधिकता है। यह कार्य और रूप से तो अलग है लेकिन इनमे पारस्परिक सामंजस्यता है। इस ग्रह पर लाखों जीवों के साथ हम रहते हैं इसमें सूक्ष्म से लेकर हाथी आदि सभी प्राणी सम्मिलित है। यह संपूर्ण निवास जहाँ हम रहते हैं जैव विविधता है।
जैव विविधता के कारण कौन कौन से हैं?
प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना आवास विखण्डन, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित दोहन, अंधविश्वास एवं अज्ञानता आदि जैव विविधता के ह्रास के प्रमुख कारण हैं।
जैव विविधता का जनक कौन है?
ई. ओ. विल्सन को जैवविविधता का जनक कहा जाता है।
jaiv vividhta ki bartmaan ki stithi kya h ….?
सर इसमे तो आप biodiversity of types नहीं बताये
My whatsapp number. 9128896327
जैविविधता को लेकर जो आपको वर्णन किया है बहुत अच्छा है बहुत बहुत धन्यवाद आपको
Thanks
Very nice sir
Bahut shandar
Good
Nice perfect answer thank you
Good explanation, Upsc ias pre k liye Hindi me nots chahiye
Wonder
Good post useful
Thank you sir
Thanku sir
Thankyou sir????
Thanks apne bhut acche se samghaya..thanku
Good answer sir ji
Nice sir smjhane ka tarika bhut mast hai jo topic books me net me bar bar padne se smjh nhi aaya wo topic apne ek bar me hi bhut achhe se smjha diy thanku so muchh sir
Hello sir aapka YouTube channel hai to link share kr dijiye please…….
Aapke question ko bahut better explain liye hai
Aapka explain karne tarik bahut badiya hai sir
Wonderful explanation
Great explanation sir
Sir please sir aapke YouTube channel name bataiye sir
Sir es ans ko hum M.A second year ke exam me likh skte h ? Aapne bahot acche se explain Kiya h