कक्षा 12 इतिहास अध्याय 1 नोट्स PDF Download

कक्षा 12 इतिहास अध्याय 1 नोट्स PDF Download Class 12 History Chapter 1 Notes In Hindi

दोस्तों आज हम इस पोस्ट में हम हड़प्पा सभ्यता (या सिंधु घाटी सभ्यता) के बारे में पड़ेगे और हड़प्पा बासी लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर चर्चा करेंगे। जो विद्यार्थी 12 कक्षा में पढ़ रहे उनके लिए यह जानकारी बहुत उपयोगी रहने वाली है . इसलिए आज की पोस्ट में आपको ईंटें मनके तथा अस्थियाँ Notes Class 12 history chapter 1 notes in hindi से सम्बधित जानकारी दी गई .यह जानकारी आपके exam और सामान्य ज्ञान के लिए महत्पूर्ण होने वाली है .इसलिए इन्हें आप ध्यानपूर्वक पढ़े .

TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectHistory
ChapterChapter 1
Chapter Nameईंटें मनके तथा अस्थियाँ
CategoryClass 12 History
MediumHindi

हड़प्पा की मुहरें हड़प्पा सभ्यता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देती हैं। ये मुहरें सेलखड़ी नामक पत्थर से बनी हैं और इनमें एक ऐसी लिपि के चिन्ह हैं जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता भी कहा जाता है। इसका काल 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व के बीच है। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, धौलावीरा, और कालीबंगन इसके मुख्य केंद्र थे।

हड़प्पा सभ्यता से पहले की बस्तियाँ छोटी थीं। इनमें कृषि और पशुपालन होता था। अफगानिस्तान में शोर्तुघई नामक स्थल पर हड़प्पा काल की नहर सिंचाई के अवशेष मिले हैं। हड़प्पा स्थलों से मिले अनाज और हड्डियों से इनके भोजन का पता चलता है।

हड़प्पा काल में मिट्टी के बर्तन, पत्थर, धातु और मिट्टी की वस्तुएँ बनती थीं। बलुआ पत्थर की चक्कियाँ भी मिली हैं। हड़प्पा पहला खोजा गया शहर था, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण मोहनजोदड़ो था। यह एक नियोजित शहर था जिसमें गलियाँ और सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। मकान पकी ईंटों के बने होते थे और निचले हिस्से में स्थित थे। गंदे पानी की निकासी के लिए नालियाँ बनी थीं।

मोहनजोदड़ो के दुर्ग पर एक विशाल जलाशय, एक मालगोदाम और कुछ अन्य संरचनाएँ मिली हैं जो सार्वजनिक उपयोग की थीं। हड़प्पा में कुछ कब्रें मिली हैं जिनमें मृतकों को दफनाया गया है। ये गड्ढे हैं जिनमें शवों के साथ दैनिक उपयोग की वस्तुएँ रखी गई थीं।

हड़प्पा के शिल्पों में मनके बनाना, शंख काटना, धातुकर्म, मुहरें और बाट बनाना शामिल था। शिल्प उत्पादन के लिए केवल स्थानीय सामग्री का ही नहीं, बल्कि बाहर से पत्थर, लकड़ी और धातु मंगवाए जाते थे।

पुरातत्वविदों ने राजस्थान के खेतड़ी क्षेत्र की संस्कृति को गणेश्वर-जोधपुरा संस्कृति का नाम दिया है जहाँ तांबे की वस्तुएँ मिली हैं। मेसोपोटामिया के लेखों में वर्णित मेलुहा संभवतः हड़प्पा क्षेत्र था। हड़प्पा से कार्नेलियन, लाजवर्द, तांबा और सोना मेसोपोटामिया भेजे जाते थे। हड़प्पा लिपि चित्रमय थी और बाएँ से दाएँ लिखी जाती थी।

हड़प्पा सभ्यता में शासक की महत्वपूर्ण भूमिका थी। सभी जटिल निर्णय वही करता था। जलवायु परिवर्तन, निरंतर बाढ़, नदियों का सूख जाना या मार्ग बदल जाना हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण बने।

दयाराम साहनी और राखलदास बनर्जी ने सिंधु घाटी सभ्यता की खोज में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल जॉन मार्शल ने 1924 में सिंधु घाटी में नई सभ्यता की खोज की घोषणा की थी।

खुदाइयों में लाजवर्द, जैस्पर और चाल्सेडनी से बनी छोटी-छोटी वस्तुएँ मिली हैं। यह या तो पूजा की वस्तुएँ थीं या खेलों में उपयोग की जाने वाली मुहरें।

सिंधु घाटी के लोग मातृदेवी और आद्य शिव की पूजा करते थे। विभाजन के बाद सिंधु सभ्यता के मुख्य स्थल पाकिस्तान में चले गए। इसलिए भारतीय पुरातत्वविदों ने भारत में नए स्थल खोजे। यह खोज आज भी जारी है।

भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के पहले डायरेक्टर जनरल कनिंघम का मानना था कि भारतीय इतिहास गंगा घाटी के पहले शहरों से शुरू हुआ। इसलिए वे हड़प्पा से मिली मुहर का महत्व नहीं समझ पाए। हड़प्पा सभ्यता से मिली पत्थर की मूर्ति को ‘पुरोहित-राजा’ कहा गया, जो मेसोपोटामिया के पुरोहित-राजा के आधार पर नामित की गई थी।

हड़प्पा सभ्यता में विनिमय सूक्ष्म और सटीक बाटों से होता था, जो चर्ट नामक पत्थर से बने होते थे। मुहरों पर जहाजों और नावों के चित्र मिले हैं, जो दूर के प्रदेशों से संपर्क का संकेत देते हैं।

Class 12 History Chapter 1 English In Hindi

The seals of Harappa provide important information about the Harappan civilization. These seals, made of a stone called steatite, bear symbols of a script that has not yet been deciphered. The Harappan civilization is also known as the Indus Valley Civilization. Its period is determined to be between 2600 BCE and 1900 BCE. The main centers of this civilization were Harappa, Mohenjo-daro, Lothal, Dholavira, Kalibangan, etc.

The settlements before the Harappan civilization were generally small. Agriculture and animal husbandry were prevalent among them. Remains of canal irrigation have been found from the Harappan civilization at an archaeological site called Shorothugai in Afghanistan. Grains and the bones of animals and birds found at Harappan archaeological sites provide information about the diet of the Harappan people.

In the Harappan period, pottery, stones, metals, and clay were used to make various items. Millstones made of sandstone have also been found. Harappa was the first city to be discovered, but the most important city was Mohenjo-daro. Mohenjo-daro was a planned city. Its streets and roads intersected at right angles. The houses were made of baked bricks and were located in the lower part of the city. There were drains for the drainage of dirty water.

At the fort of Mohenjo-daro, a large reservoir, a warehouse, and some other important structures were found that were used publicly. Some burials have been found in Harappa where the dead were buried. These are a type of pits where, along with the corpses, some other items of daily use were kept.

Crafts in the Harappan civilization included bead making, shell cutting, metallurgy, seal making, and weight making. Bracelets, spoons, and inlaid items were made from shells. For craft production, only local materials were not used. Stones, good wood, and metals had to be imported as raw materials.

Archaeologists have named the culture of the Khetri region of Rajasthan as the Ganeshwar-Jodhpura culture. A large number of copper items have been found here. The Meluhha mentioned in the texts of Mesopotamia was possibly the Harappan region. From here, materials like carnelian, lapis lazuli, copper, and gold were sent to Mesopotamia. The Harappan script was not alphabetical but pictorial. It was possibly written from left to right.

The ruler (king) played an important role in the Harappan civilization. All complex decisions were made by him. Climate change, continuous floods, drying up of rivers, or changes in their courses were factors that led to the end (decline) of the Harappan civilization.

The two archaeologists Dayaram Sahni and Rakhaldas Banerjee made significant contributions to the discovery of the Indus Valley Civilization. John Marshall, the Director-General of the Archaeological Survey of India, announced the discovery of a new civilization in the Indus Valley in 1924.

Excavations have found small items made of lapis lazuli, jasper, chalcedony, and other stones. According to Mackay, these were either worshiped phallic symbols (Shivaling) or seals used in games played on boards.

The people of the Indus Valley worshiped the Mother Goddess and Proto-Shiva. After the partition, major sites of the Indus civilization came under Pakistani territory. Therefore, Indian archaeologists tried to find sites in India and discovered several places. This search continues today.

The first Director-General of the Archaeological Survey of India, Cunningham, mistakenly believed that Indian history began with the first cities that developed in the Ganges Valley. Therefore, even after seeing the seal found in Harappa, he could not understand the importance of Harappa. A stone statue obtained from the Harappan civilization was called the ‘Priest-King.’ This name was given based on the Priest-King of Mesopotamia.

The exchange in the Harappan civilization was done using a precise and accurate system of weights. These weights were made of a stone called chert. Pictures of ships and boats have been found on the seals, indicating contact with distant regions during the Harappan civilization.

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