किसान, ज़मींदार और राज्य कृषि समाज और मुग़ल साम्राज्य के प्रश्न उत्तर
Peasants, Zamindars and the State Agrarian Society and the Mughal Empire Question Answer- कक्षा 12 में पढा़ई करने वाले छात्रों को बता दें कि आप हमारी वेबसाइट से कक्षा 12वीं इतिहास के सभी विषयों चेप्टरो के प्रश्न उत्तर प्राप्त कर सकते हैं। इन प्रश्न उत्तरों का प्रयोग करके आप सभी विषयों की तैयारी आसानी से कर सकते हैं. इसलिए आज इस पोस्ट में किसान, ज़मींदार और राज्य कृषि समाज और मुग़ल साम्राज्य के क्वेश्चन आंसर दिए गए है .इन्हें आप ध्यान पूर्वक याद करे क्योंकि यह प्रश्न कक्षा 12 इतिहास की परीक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है .इसलिए आप इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़े
Class 12th History Chapter 8. किसान, ज़मींदार और राज्य कृषि समाज और मुग़ल साम्राज्य
किसान, ज़मींदार और राज्य कृषि समाज और मुग़ल साम्राज्य के अति लघु उत्तरीय प्रश्न
उत्तर- 16वीं तथा 17वीं शताब्दी में ग्रामीण समाज छोटे खेतिहरों तथा धनी ज़मींदारों से बना था। ये दोनों ही कृषि-उत्पादन से जुड़े थे और फ़सल में हिस्सों के दावेदार थे। अत: उनके बीच सहयोग, प्रतियोगिता तथा संघर्ष के रिश्ते बने। यही रिश्ते ग्रामीण समाज का आधार थे।
उत्तर- मुग़ल राज्य की आय का प्रमुख स्रोत भू-राजस्व था जो ग्रामीण समाज से प्राप्त होता था। इसलिए राजस्व अधिकारी ग्रामीण समाज को नियंत्रण में रखने का प्रयास करते थे, ताकि खेतों की नियमित जुताई होती रहे और राज्य को उपज में उसका हिस्सा समय पर प्राप्त होता रहे।
उत्तर-(i) 16वीं-17वीं शताब्दी में केवल उपजाऊ मैदानी प्रदेशों में ही कृषि नहीं होती थी, अपितु सूखी भूमि के विशाल खंडों से लेकर पहाड़ी प्रदेशों में भी खेती होती थी।
(ii) भूखंड का एक बहुत बड़ा भाग जंगलों से भी घिरा था।
उत्तर-‘आइन-ए-अकबरी’ का लेखक अकबर का दरबारी इतिहासकार अबुल फ़ज़ल था। यह ग्रंथ हमें राज्य द्वारा की गई कृषि-व्यवस्था के निम्न पक्षों की जानकारी देता है|
(i) खेतों की नियमित जुताई को सुनिश्चित करना
(ii) राज्य द्वारा करों की उगाही की व्यवस्था
(iii) राज्य तथा जमींदारों के बीच रिश्तों का नियमन
उत्तर- (i) रैयत (ii) किसान (iii) मुज़रियान (iv) आसामी।
उत्तर- मुग़लकालीन भारत में चावल, गेहूँ, ज्वार आदि खाद्यान्न फ़सलें अधिक उगाई जाती थीं। इसका कारण यह था कि खेती का प्राथमिक उद्देश्य लोगों का पेट भरना था। .
उत्तर- (1) ज़मीन की अधिकता (2) मजदूरों की उपलब्धता (3) किसानों की गतिशीलता (4) सिंचाई के कृत्रिम साधनों : का विकास।
उत्तर- (1) लकड़ी के हलके हल का प्रयोग जिसमें खुदाई के लिए लोहे की नुकीली धार या फाल लगी होती थी। | (2) बीज बोने के लिए बैलों द्वारा खींचे जाने वाले बरमे का प्रयोग।
उत्तर- खेती के मौसम चक्र
(i) ख़रीफ-पतझड़ में
(ii) रबी-बसंत में।
दो नकदी फसलें
(i) गन्ना तथा (ii) कपास।
उत्तर- मक्का (अनाज); टमाटर, आलू तथा मिर्च (सब्ज़ियाँ) और अनानास तथा पपीता (फल)।
उत्तर-16वीं-17वीं शताब्दी में किसान का सामाजिक अस्तित्व सामूहिक ग्रामीण समुदाय से जुड़ा था। इसके तीन घटक थे-खेतिहर किसान, पंचायत तथा गाँव का मुखिया।
उत्तर- मुगलकाल में गाँव की पंचायत गाँव के बुजुर्गों की सभा होती थी। ये प्रायः गाँव के महत्त्वपूर्ण लोग हुआ करते थे जिनके पास अपनी संपत्ति होती थी।
पंचायत के मुखिया को ‘मुकद्दम’ अथवा मंडल कहा जाता था।
उत्तर- (1) ग्राम पंचायत के मुखिया का मुख्य काम गाँव के आय-व्यय का हिसाब-किताब अपनी निगरानी में तैयार करवाना था। इस काम में गाँव का पटवारी उसकी सहायता करता था।
(2) जाति की अवहेलना को रोकने के लिए लोगों के आचरण पर नज़र रखना।
उत्तर-16वीं तथा 17वीं शताब्दियों के दौरान पंचायतों के मुख्य कार्य निम्नलिखित थे
(1) यह सुनिश्चित करना कि गाँव में रहने वाले अलग-अलग समुदायों के लोग अपनी जाति की सीमाओं में रहें।
(2) ऐसे सामुदायिक कार्य करना जिन्हें किसान स्वयं नहीं कर सकते थे, जैसे-मिट्टी के छोटे-मोटे बाँध बनाना या नहर खुदवाना।
उत्तर- ‘जिन्स-ए-कामिल’ का अर्थ है-सर्वोत्तम फ़सलें इनमें गन्ना, कपास, तिलहन, दलहन आदि नकदी फ़सलें शामिल थीं। मुग़ल राज्य किसानों को ऐसी फ़सलें उगाने के लिए इसलिए प्रोत्साहन देता था, क्योंकि इनसे राज्य को अधिक कर प्राप्त होता था।
उत्तर- मुगलकाल में पंचायतों को जुर्माना लगाने तथा किसी दोषी को समुदाय से निष्कासित करने जैसे अधिकार प्राप्त थे। इनका उद्देश्य जातिगत रिवाजों की अवहेलना को रोकना था।
उत्तर- (i) पंचायत का खर्चा गाँव के उस आम खजाने से चलता था जिसमें प्रत्येक ग्रामीण अपना योगदान देता था।
(ii) पंचायतों को जुर्माना लगाने का भी अधिकार था।
(ii) कृषि से प्राप्त कर।।
उत्तर- (i) राजस्थान में जाति पंचायतें अलग-अलग जातियों के लोगों के बीच दीवानी झगड़ों का निपटारा करती थीं। वे ज़मीन से जुड़े दावेदारियों के झगड़े सुलझाती थीं।
(ii) वे यह तय करती थीं कि शादियाँ जाति के मानदंडों के अनुसार हो रही हैं या नहीं।
(iii) वे यह बताती थीं कि कर्मकांडीय वर्चस्व किस क्रम में होगा।
उत्तर- मुग़लकाल में कई खेतिहर तथा उनके परिवार के सदस्य रंगरेज़ी, कपड़े पर छपाई, मिट्टी के बर्तनों को पकाना आदि कार्य भी करते थे। इसका कारण यह था कि खेतों पर सालभर काम नहीं होता था। इसलिए वे खाली महीनों में दस्तकारी करते थे।
अथवा
मुगलकाल में जमींदार किस प्रकार शक्ति प्राप्त करते थे ? कोई दो तरीके बताओ।
उत्तर- (1) उनके पास बड़ी-बड़ी निजी जमीनें थीं।
(2) वे राज्य को महत्त्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान करते थे। इसके बदले उन्हें विशेष सुविधाएँ दी जाती थीं।
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